ज़िन्दगी तुझको फिर मनाने निकले
हम भी किस दर्जे के दीवाने निकले
कुछ तो दोस्त थे काफिले में मेरे
कुछ मेरे दुश्मन पुराने निकले
कुछ बेगाने अपने
तो कुछ अपने बेगाने निकले
मुश्किलों का हैं शौक हमे
कितने नादान थे वो
जो हमे आजमाने निकले
बेबरसात हैं यें ज़िन्दगी
खुद से मिलने के बहाने निकले
इन अंधेरो में जीते कब तक
अब खुद ही शमा जलाने निकले
भूल के सारे दर्द गम को
हम तो बस मुस्कुराने निकले
ज़िन्दगी का साथ निभाने निकले |
हम भी किस दर्जे के दीवाने निकले
कुछ तो दोस्त थे काफिले में मेरे
कुछ मेरे दुश्मन पुराने निकले
कुछ बेगाने अपने
तो कुछ अपने बेगाने निकले
मुश्किलों का हैं शौक हमे
कितने नादान थे वो
जो हमे आजमाने निकले
बेबरसात हैं यें ज़िन्दगी
खुद से मिलने के बहाने निकले
इन अंधेरो में जीते कब तक
अब खुद ही शमा जलाने निकले
भूल के सारे दर्द गम को
हम तो बस मुस्कुराने निकले
ज़िन्दगी का साथ निभाने निकले |
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