कल कल करते आज
हाथ से निकले सारे
भूत भविष्यत की चिंता में
वर्तमान की बाज़ी हारे...
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला...
हानि लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार
हो गया...
मोल लगा बिकने वालो का
बिना बिका बेकार हो गया
मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक एक कर मीत चला...
जीवन बीत चला |
हाथ से निकले सारे
भूत भविष्यत की चिंता में
वर्तमान की बाज़ी हारे...
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला...
हानि लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार
हो गया...
मोल लगा बिकने वालो का
बिना बिका बेकार हो गया
मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक एक कर मीत चला...
जीवन बीत चला |
By Atal Bihari Vajpayee ji